2004 में ही कर दी थी भविष्यवाणी

आध्यात्मिक संस्थाओं में संत श्री आशारामजी आश्रम एक ऐसी संस्था है जिसने अनेक प्रकार के अन्याय और अवरोधों को सहते हुए भी अपने राष्ट्र, वैदिक संस्कृति एवं धर्म की रक्षा व सेवा में अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है और दे रही है । इसके भावी परिणामों के बारे में सचेत करते हुए दूरद्रष्टा पूज्य बापूजी ने 25 नवम्बर 2004 को श्री जयेंद्र सरस्वतीजी के गिरफ्तारी के विरोध में पूज्य बापूजी के धरना प्रदर्शन के बाद ही पूज्य बापूजी ने यह भविष्यवाणी की थी :

“मेरे लिए, विवेकानंद के लिए, रामकृष्ण के लिए, रामतीर्थ के लिए, उन्होंने क्या नहीं कुप्रचार किया और अभी भी कर रहे हैं ।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था, धरती पर से हिंदू धर्म गया तो सत्य गया, शांति गयी, उदारता गयी, सहानुभूति गयी, सज्जनता गयी ।

सत्य को मैं कुर्बान नहीं होने दूँगा

‘मैं कुर्बान हो जाऊँगा लेकिन सहानुभूति और सज्जनता को मेरे सामने कुर्बान नहीं होने दूँगा, सत्य को मै कुर्बान नहीं होने दूँगा।’
“अब आश्रम और समितियों पर भी आँधी चलेगी । उसके लिए तुम्हें भी तैयार रहना पड़ेगा । कुप्रचार होंगे, कुछ-का-कुछ करेंगे करनेवाले लोग ।” हमारे भोले-भाले लोगों को गुमराह करके हमारे विरुद्ध खड़ा किया जा रहा है । ये सुनियोजित षड्यंत्र है, हमारे देश को फिर अपना गुलाम बनाने, अपना भोग्य बनाने का ।

मेरा किसी व्यक्ति से, किसी धर्म सम्प्रदाय से विरोध नहीं

मेरा किसी व्यक्ति से, किसी धर्म सम्प्रदाय से विरोध नहीं है, फिर भी मुझे यह कहना पड़ता है कि जो हमारी संस्कृति पर सीधे-अनसीधे आघात करते हैं, उनको चेताने का काम तो मुझे और मेरे सभी साधकों को करना ही होगा ।”

आज वह भविष्यवाणी अतीत व वर्तमान बनकर हम सबके सामने है । साजिश के तहत पूज्य बापूजी जैसे राष्ट्रसेवी महापुरुष को पिछले करीब 9 से अधिक वर्षों से कारागृह में रखा गया है ।

हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए इन संतप्रवर ने न देखा दिन न देखी रात, न देखी गर्मी न देखी सर्दी, न देखा अपना स्वास्थ्य न देखी अपनी पीड़ा… बस वर्ष के 365 दिन गाँव-गाँव, शहर-शहर में घूम-घूमकर सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते रहे ।

संत श्री आशारामजी बापू” वो नाम है जिन्होंने विधर्मी तथा धर्मांतरण करनेवाली मिशनरियों की रात की नींद और दिन का चैन छीन लिया ।